शौच करते समय धात गिरना
अक्सर लोग इसे पुरुषों की एक सेक्स समस्या मानते हैं, जिसमें बिना किसी यौन उत्तेजना और सेक्स के वीर्यपात होने लगता है।
Dr Ali, M.B.B.S. (27 years of experience)
2/28/20241 min read
कई बार टॉयलेट में ज़ोर लगते समय कुछ चिपचिपा सा पानी आपके लिंग से टपक जाता है जिसे धात कहते है। ऐसे इसलिए होता है की ज़ोर लगते समय कुछ प्रेशर लिंग की आसपास की ग्रंथियों पर पड़ जाता है जिससे यह चिपचिपा पानी वहां से लीक कर जाता है। इससे शरीर को कोई नुकसान नहीं होता है और ना ही इसमें शुक्राणु होते है। यदि आप महसूस करते हैं कि यह चीज़ आपके साथ हो रही है, तो यह आमतौर पर सिर्फ आपका शरीर सामान्य तरीके से काम कर रहा है और आपको इसके बारे में बहुत अधिक चिंता करने की ज़रूरत नहीं है।
धात का मतलब होता है वीर्य का अपने आप से निकलना, जो आम तौर पर सोते समय या ज़ोर लगाते समय जैसे पेशाब या मल त्याग के दौरान होता है।
जब भी किसी पुरुष को काम या सेक्स की भावना होती है! तो अपने आप लिंग कठोर हो जाता है और उसका अंग उत्तेजित हो जाता है! इस स्थिति में व्यक्ति के लिंग से पानी के रंग की पतली लेस निकलने लगती है! लेस बहुत छोटी होने के कारण वे लिंग से बाहर नहीं आ सकते, लेकिन जब कोई बहुत देर तक उत्तेजित रहता है तो वे लिंग के मुहँ के ऊपरी भाग में आ जाते हैं।
इस लेस में शुक्राणु नहीं होते है! लेकिन इसका काम सेक्स करते समय वीर्य की गति से लिंग को होने वाले नुकसान से बचाने के लिए पुरुष यौन-अंग की नाली को गीला और चिकना करना है!
धात कोई रोग नहीं है। वीर्य का शरीर से निकलना एक प्राक्रतिक क्रिया है जिससे किसी भी तरह का कोई नुकसान नहीं होता है। इससे कई भ्रम जुड़े हुए हैं जैसे इसके गिरने से कमजोरी होना। मेडिकल साइंस में इन सब धारणा को गलत माना जाता है।
धातु (धात) रोग
निम्न कारण से धात रोग के लक्षण दिखाई दे सकते हैं।
अत्यधिक कामुक और अश्लील विचार रखना!
हस्तमैथुन अधिक करना
कब्ज़ होना
अक्सर मन में कोई दुःख या दिमागी कमजोरी होना
व्यक्ति के शरीर में विटामिन्स, पौषक पदार्थों और तत्वों की कमी होने पर!
किसी बीमारी के दौरान अधिक दवा लेने से शरीर कमजोर होना और प्रतिरोधक क्षमता कम होना!
ज्यादा चिंता करना, वीर्य पतला होना,
धात रोग का सबसे बड़ा कारण क्या है?
धात गिरना स्वयं एक बीमारी नहीं है, इसलिए इसके कोई विशिष्ट लक्षण नहीं होते।
हालाँकि,नकरात्मक सोच के कारण धात गिरने के कुछ लक्षण होते हैं, जैसे एकाग्रता में कमी, भूख कम लगना, कमर दर्द, थकान, डिप्रेशन, याददाश्त में कमी, सुस्त आँखें, रात को पसीना आना, अंडकोष के आसपास पसीना आना, नम और गर्म त्वचा, तलवे और हथेलियां, और पेरिनेम (गुदा या अंडकोष के बीच का क्षेत्र) दर्द।
धातु (धात) रोग के लक्षण
धात रोग कोई रोग नहीं है, इसलिए इसका उपचार करना बेमानी है। लेकिन फिर भी, धात गिरने से बचने का सबसे अच्छा तरीका है कि आप इसकी परवाह न करें।
साथ ही, अगर आप हस्तमैथुन, सेक्स या अन्य यौन क्रियाओं को मन में गलत या बुरा मानते हैं, तो इन विचारों को अपने मन से बाहर निकाल दें। इसके बजाय, इन्हें स्वाभाविक और आवश्यक मानकर उनका आनंद लें।
इसके अतिरिक्त, अपने यौन जीवन को बेहतर बनाने के लिए स्वस्थ आहार और जीवनशैली अपनाएं, साथ ही योग या व्यायाम करें। कीगल एक्सरसाइज इसमें बहुत प्रभावी हैं।
यहाँ कुछ स्व-देखभाल युक्तियाँ हैं जो आपको अपने यौन स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद कर सकती हैं और धात गिरने की दर को नियंत्रित करने में मदद कर सकती हैं:
सोते समय सख्त गद्दे या तंग कपड़े न पहनें, कब्ज का इलाज करवाएं, ठंडे पानी से नहाएं, ताज़ी सब्जियों और फलों का सेवन करें, हल्का डिनर करें, मसालेदार भोजन से बचें और सोने से पहले पानी न पियें।
कब्ज होने पर जल्द से जल्द पता लगाकर उसे ठीक करना चाहिए।
धात गिरना कैसे बंद करें
योग इसकी चिंता से बाहर निकलने में मदद करता है और रिकवरी को तेज़ करता है।
गोमुखासन: गोमुखासन पुरुषों को स्खलन पर अधिक नियंत्रण पाने में मदद करता है।
भुजंगासन: भुजंगासन पुरुषों को शीघ्रपतन से बचाता है। यह भी पुरुषों को इरेक्शन को लंबे समय तक बनाए रखने में मदद करता है।
उत्तानपादासन: उत्तानपादासन स्खलन को भी नियंत्रित करता है।
सर्वांगासन: सर्वांगासन वृषण के कार्य को सुधारता है और शुक्राणुओं की गुणवत्ता और वीर्य की गुणवत्ता को सुधारता है।
सेतुबंधासन: सेतुबंधासन पुरुषों और महिलाओं की यौन इच्छा को बढ़ाता है।
अनुलोम-विलोम और बाह्य प्राणायाम करने से लाभ मिलता है।
कीगल व्यायाम
कीगल एक्सरसाइज करना काफी आसान हो जाता है जब आप जानते हैं कि कौनसी मांसपेशी को टारगेट करना है। यह पेशाब के दौरान अपनी मांसपेशियों को समझने का सबसे आसान तरीका है। जो कुछ है -
आधा पेशाब करने के बाद बाकी पेशाब को रोकने या धीरे-धीरे करने की कोशिश करें।
ना तो अपने नितंबों, टांगों या पेट की मांसपेशियों को कसने की कोशिश करें, ना ही अपनी सांसों को रोकने की कोशिश करें।
जब आप अपने मूत्र प्रवाह को रोक या रोक सकते हैं, तो आप उस मांसपेशी पर नियंत्रण पा लेंगे।
कीगल अभ्यास करने के लिए—
5 तक गिनती करते हुए इन मांसपेशियों को सिकोड़ें।
फिर पांच गिनते हुए धीरे-धीरे वापस खोलें।
दस बार ऐसा करें।
दिन में कम से कम 10 बार केगल के सेट को करें।
धातु (धात) रोग के लिए योग
सफ़ेद मुसली: 10 ग्राम सफ़ेद मुसली का चूर्ण मिश्री से मिलाकर खाया जाए और फिर लगभग 500 ग्राम गाय का दूध पीया जाए तो बहुत फायदेमंद होगा! इस प्रक्रिया से शरीर को अंदरूनी शक्ति मिलती है, जो व्यक्ति को रोगों से लड़ने की क्षमता प्रदान करती है!
आंवले का चूर्ण: आंवले का चूर्ण सुबह-शाम दूध के साथ लेने से भी धात रोग में बहुत लाभ मिलता है!
तुलसी: 3 से 4 ग्राम तुलसी के बीज और थोड़ी सी मिश्री को दोपहर के भोजन के बाद मिलाकर खाने से जल्दी लाभ मिलता है!
गिलोय: धात रोग से छुटकारा पाने के लिए दो चम्मच गिलोय के रस को एक चम्मच शहद के साथ मिलाकर लेना चाहिए!
अमला: सुबह खाली पेट दो चम्मच आंवले का रस शहद के साथ लें! इससे जल्द ही धात पूरी हो
उड़द की दाल: उड़द की दाल को पीसकर खांड में भुनने से भी बहुत जल्दी लाभ मिलता है!
जामुन की गुठली: धुप में जामुन की गुठलियों को सुखाकर पाउडर बनाकर हर दिन दूध के साथ खाएं! यह सिर्फ कुछ हफ्तों में पूरा करने पर ही आपकी कमी बंद हो जाएगी!
धात रोग की दवा- धातु रोग की जड़ी बूटी
नियमित रूप से तरबूज और एवोकाडो खाना इस बीमारी को ठीक कर सकता है। एंड्रोस्टेरोन से बना अजमोद एक शक्तिशाली उत्तेजक है। रात को सोने से पहले अजमोद की पत्तियों का जूस पीना चाहिए। दैनिक रूप से दो से तीन कप दही का सेवन करें, ताकि आप फिट और फिट रहें। इससे स्वप्न दोष कम होते हैं और अच्छी नींद आती है।मेथी का उपयोग करके धात से बचें। यह हार्मोन असंतुलन को दूर करने में प्रभावी है। यह पाचन को भी सुधारता है। सोने से आधे घंटे पहले शहद और मेथी का रस मिलाकर पीना भी अच्छा है।
धातु रोग के अन्य उपाय
धातु रोग को जड़ से खत्म कैसे करें?
धात रोग को रोकने का सबसे अच्छा तरीका हस्तमैथुन या सेक्स जैसी यौन गतिविधियों का आनंद लेना है। उन्हें बुरा न समझें, बस उन्हें सामान्य और महत्वपूर्ण समझें।
धात रोग को दूर करने के लिए जीवनशैली में कुछ बदलाव करना आवश्यक है। इसके उपचार में कुछ सुझाव हैं, जैसे शराब से दूर रहना, रात में कम खाना खाना, बहुत मुलायम गद्दों पर न सोना, जननांगों को पूरी तरह से स्वच्छ रखना और सही तरह से मल त्याग करना।
धातु रोग की सबसे अच्छी दवा कौन सी है?
धातु रोग का सबसे अच्छा इलाज यह है कि आप इसकी परवाह न करें।
अश्वगंधा: यह कई लाभ देता है, जो धातु रोगों और संबंधित समस्याओं को नियंत्रित करने में उपयोगी हो सकते हैं।
धातु रोग कौन से विटामिन की कमी से होता है?
धातु रोग किसी विशिष्ट विटामिन की कमी से नहीं होता है। विटामिन की कमी से विभिन्न स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं, लेकिन वे सीधे तौर पर धातु रोगों का कारण नहीं बनती हैं।
लड़कियों को धात क्यों पड़ती है?
vaginal discharge, या योनिक स्राव, एक आम घटना है जो मासिक चक्र के अनुसार बदलती रहती है। यह स्राव योनि को साफ और स्निग्ध रखने के लिए होआ है, और अण्डोत्सर्ग के दौरान यह बढ़ जाता है ताकि अण्डाणु आसानी से तैर सके।
गर्भवती महिला को धात गिरने से क्या होता है?
सफेद पानी को माना जाता है कि महिलाओं के शरीर से मृत कोशिकाएं निकालते हैं। वैजाइनल डिस् चार्ज तीसरी तिमाही में बढ़ता है। सफेद, चिपचिपा और गंधहीन डिस् चार्ज आना आम है। महिलाओं की योनि हर तिमाही सफेद पानी उत्पादन करती है।
स्त्री धातु रोग क्या है
श्वेत प्रदर, ल्यूकोरिआ, लिकोरिआ, या "सफेद पानी आना", एक महिला रोग है जिसमें उनकी योनि से असामान्य मात्रा में गाढा और बदबूदार सफेद पानी निकलता है, जिससे वे बहुत क्षीण और कमजोर हो जाती हैं। श्वेत प्रदर रोग महिलाओं में आम है। ये गुप्तांगों से पानी की तरह बहने वाले स्राव हैं।
धातु रोग क्यों होता है
अत्यधिक कामुक और अश्लील विचार रखना!
अक्सर मन में कोई दुःख या दिमागी कमजोरी होना
व्यक्ति के शरीर में विटामिन्स, पौषक पदार्थों और तत्वों की कमी होने पर! धातु रोग का कारण बन सकते हैं
धातु की बीमारी को कैसे ठीक करें?
सख्त गद्दे पर सोने या तंग कपड़े पहनने से बचें, कब्ज का इलाज करें, ठंडे पानी से नहाएं, ताजे फल और सब्जियां खाएं, हल्का भोजन करें, मसालेदार भोजन से बचें और सोने से पहले पानी पीने से बचें।